Friday, November 23, 2018

मेरी किस्मत

जिंदगी का एक एक पल
सपनों मे संयोजा था ।
तुम्हारे मेरे साथ होते हुए भी
मैंने तुम्हें ढूँढा था ।
आसमान की उडान मे
उडने से भी सेहमता था ।
शिखर पर पहुँचने  से  पहले 
फडफडाने से भी  डरता था ।

आज के  इस विश्वास पर
कल की कोई  आस न थी  ।
बरसात के  इन बूँदो की
संसार को  कोई  प्यास न थी ।

उन आँखों  की  चमक चाहिए
जो  बेतहाशा  उम्मीद  रखते  है ।
मुझे  दिलासा देकर
खुद  सारे सितम सहते है ।

मुझे  रोज़  समझाने वाले 
आज कुछ  न कहते  है  ।
फिर भी  उनकी  आँखों  की झलक
मुझे  वो  सबकुछ कहते  है ।

जल्दी , मैं  उनके  ख्वाब  पुरे  करता
खाश उनकी  झोली खुशीयाँ से भरता ।
मैं  भी  कल आम नहीं 
कुछ  खास  रहता  ।।

जिंदगी का एक एक पल
सपनों मे संयोजा था ।
तुम्हारे मेरे साथ होते हुए भी
मैंने तुम्हें ढूँढा था ।
आसमान की उडान मे
उडने से भी सेहमता था ।
शिखर पर पहुँचने  से  पहले 
फडफडाने से भी  डरता था ।
                             गुंजन द्विवेदी

Sunday, October 14, 2018

एक फूल (कविता)

इस दुनिया की रीत यही ।
नन्हे फूलो की बगीया से प्रीत यही ।।
जब तक खिलकर तु रहता है ।
कीटो के डंग तु सहता है ।।

चार पहर के इस जीवन में ।
कितनी बार सहमते हो ।।
माली के इस मुख से ।
तुम क्यों नहीं कुछ कहते हो ।।

इसी कारण तुम वन नहीं ।
उपवन कहलाते हो ।।
इतना कष्ट सच मे कम नहीं ।
जो तुम सह जाते हो ।।

इस कलयुग के कल की ।
तुम आस मत करना ।।
अपने काँटो के अलावा ।
किसी पर विश्वास मत करना ।।

नहीं तो तुम भी मुझ जैसे ।
देखते रह जाओगे ।।
सूर्य ढलने से पहले ही ।
तुम तोड़ लिए जाओगे ।।

इस दुनिया की रीत यही ।
नन्हे फूलो की बगीया से प्रीत यही ।।
जब तक खिलकर तु रहता है ।
कीटो के डंग तु सहता है ।।

               गुंजन द्विवेदी

हमारा भारत (कविता)

भारत के रसना मे अनोखी रास है।
तुम मे भी कुछ खास है।।
ममतामयी माँ से रीझे हो तुम ।
गर्वमान पिता के द्वारा सिंचे हो तुम।।

पहली लाली संग चरणों का आशीर्वाद मिलता।
हर सुपूत मे भारत का नाम मिलता ।।
सूर्य  पर जितना विश्वास आज है।
दादा को अपने पोते पर उतना नाज है।।

यहाँ की मिट्टी मे कोई राज है।
यहाँ का बच्चा बच्चा विश्व का सरताज है।।
बिरजु हो या अब्दुल , कमाया इतना नाम है।
स्वयं उतर आए यहाँ भगवान राम है।।
यहाँ हर दिन , हर पल एक त्योहार  है।
धर्मों की तो गाथा , गाता संसार हैं ।।

एकता , सद्भावना से अमूल्य यहाँ की रीति हैं ।
बेटी कल्पना तो हार कर भी जीती है ।।
हमारी सेना से विपक्षी भी भयभीत है ।
किसी ने सुनी न देखी , ऐसी रणनीत हैं ।।

                       गुंजन द्विवेदी ।

आसुँ (कविता)

एक आस की प्यास अधुरी
आसुँ बन बह जाता हूँ ।
कोई न पुछे मुझको तब
रहमत माँगत बेबस बन जाता हूँ ।

इस छोटे से आशीये का
आसमान तक कोना-कोना देखा है ।
फिर भी तुझे ढुढँना पड़ता है
वह खुशी तेरी कौन सी रेखा है ।

इस फकीर की तु भी लकीर है
कब तक तु मेरा ऐसा नसीब है ।
खाली पन्नों की तु कैसी किताब
सब जानकर समझने वाला भी बेताब ।

एक आस की प्यास अधुरी
आसुँ बन बह जाता हूँ ।
कोई न पुछे मुझको तब
रहमत माँगत बेबस बन जाता हूँ ।

इस लोर की चमक भी
सुख अवसर पर कुछ और है ।
कही इससे मातम छाया
जहाँ रोने का शोर है ।

रूठ तो  तुम भी गए हमसे
इसलिए अंदर ही रहते हो ।
लोग कहते है रोता नही हूँ मैं
तुम कितना कुछ सहते हो ।

एक आस की प्यास अधुरी
आसुँ बन बह जाता हूँ ।
कोई न पुछे मुझको तब
रहमत माँगत बेबस बन जाता हूँ
     
         गुंजन द्विवेदी

Friday, October 12, 2018

सिख लिया, मर कर भी जीना (कविता)

सिख लिया, मर कर भी जीना
जाना जब ,यहाँ कातिल बहुत हैं ।
बुराई करते थे , वो  कह कर
इसमें फाज़िल बहुत है ।

देख लिया इस जग ने मुझमें
नई दुनिया की नई कहानी ।
सोई किस्मत कब तक थी सोती
मिल गई , मेरे सपनो की बानी ।

क्या बताऊ , बिन आसुँ कैसे रोती है आँखें
कह कर सोजा , जग जाती थी वे रातें।
राह मे न लगते ठोकर तो
वह पत्थर भी न टकराते ।

इस दिन से पहले , हम तुम से क्या कहते
मीत रहते हुए , प्रीत से क्यों न डरते ।
दुसरो को चुप करा कर , खुद कैसे रोते
चमकने से पहले , चैन से कैसे सोते ।
 
सिख लिया, मर कर भी जीना
जाना जब ,यहाँ कातिल बहुत हैं ।
बुराई करते थे , वो  कह कर
इसमें फाज़िल बहुत है ।
                  
                           गुंजन द्विवेदी

Friday, October 5, 2018

Mentality (मानसिकता) जीवन मे मानसिकता का उपयोग ।

मानसिकता का तात्पर्य लोगों के सोचने , विचारने  के प्रारूप से है । लोगों के काम भी इसी उनकी मानसिकता पर निर्भर है कोई चाह कर भी किसी दुसरे व्यक्ति के काम ,बुरे आदतें को सुधार नही सकता केवल उसे सही मार्ग दिखाया जा सकता है लेकिन उस मार्ग पर चलना , सही तरीके से काम करना, बुरे आदतों को छोड़ना केवल उसके मानसिकता पर निर्भर हैं। व्यक्ति जिस विषय पर जैसी मानसिकता रखेगा वैसे ही उस पर कार्य करेगा।

हम मानसिकता को इस उदाहरण से आसानी से समझ सकते है कि जब सर्कस मे हाथी के बच्चे को पकड़ कर लाया जाता है तो उसे चैन से बाधँ कर रखा जाता हैं । चैन मजबूत होने के कारण उस समय वह उसे नही तोड़ पाता औऱ उसकी यह मानसिकता बन जाती हैं कि वह उससे नही टुटेगा । लेकिन मजेदार बात तो यह है कि कुछ साल बाद जब वह एक विशाल शक्तिशाली हाथी बन जाता है तब भी वह उसे नही तोड़ पाता जबकि उसके लिए वह एक कच्चे धागे के समान है । इसका कारण उसकी अपरिवर्तित मानसिकता है जिसमें चैन उससे मजबूत है औऱ वह उसे तोड़ने का प्रयास भी नही करता ।

आज के वर्तमान समय मे सभी लोगो की मानसिकता केवल अधिक से अधिक आय अर्जित करने की है लेकिन यह हमलोगो की भूल है । अर्थ केवल जीविका पार्जन के लिए ही एकत्रित किया जाता है। इस संसार मे आए औऱ अपनी मिली जिदंगी जी कर मर जाना यही जीवन नहीं हैं ब्लकि हम इस समाज मे कुछ विशेष गुण लेकर पैदा होते है औऱ जाते जाते हमें इस समाज के जनकल्याण के लिए कुछ देकर जाना होता हैं । हमें जीवन के मानसिकता के तौर पर ऐसा ही कुछ लक्ष्य रखना चाहिए अगर हम सब की मानसिकता इसी प्रकार की हो तो हम संसार को अति तिव्र गति से विकसित कर सकते है । मेरे अनुसार जैसे हम आज जितने भी प्रकार के सुविधा का उपयोग  कर रहे है उन सभी के निर्माताओ  , जनको का जीवन सफल हो चुका है । अब हमारी बारी है , कि हम अपने जीवन को सफल  कैसे बनाते है औऱ अगली पीढ़ी को क्या देते है ।

हमें जरूरत हैं अपनी मानसिकता केवल आय से हटाकर अन्य क्षेत्रों के प्रयोग मे लाने की जैसे - बेरोजगारों को रोजगार दिलाना , गरीबो को ऊपर उठने मे मद्द़ करना , जिन बच्चो को शिक्षा जैसी सुविधा नहीं मिल रही उनको शिक्षा उपलब्ध कराना । कुछ बड़ा अविष्कार करने की बात बाद मे पहले हम इन छोटे छोटे कामों को कर के हम अपना जीवन सफल बना सकते है ।

                                गुंजन द्विवेदी

Saturday, September 29, 2018

How to give good care to your children (उन्हें motivate कैसे करे )☺ अपने बच्चे को अच्छी परवरिश कैसे दे ।

How to give good care to your children (उन्हें motivate कैसे करें ।)👍👍
अपने बच्चे को अच्छी परवरिश कैसे दे।

हम अपने बच्चों के भविष्य को लेकर बहुत अधिक चिंतित रहते है । जिसके के लिए हम परेशान रहते है कि हम उनकी परवरिश कैसे अच्छे से अच्छे ठगं से करें। इसके लिए हमे उन पर कोई भार डालने की जरूरत नही है बस केवल उन्हे प्यार से समझाने की जरूरत है। मेरा कहने का मतलब है उन्हे आप IAS, IPS ,Engineer, Doctor बनने के लिए कोई तनाव न दे बल्कि उन्हे आप उनके जीवन के बारे मे बताए ।

  Five tips for motivate your child

1.    उन्हे समझाए कि हमारा जीवन क्या है।
       हमारा जीवन हमारे लिए कितना उपयोगी है।                         अगर हम इस  धरती पर कुछ बडा किए बिना ही मर गए तो हमें सब भूल जाऐगे  लेकिन अगर कोई ऐसा काम  हम कर दे जिससे हम मरने के बाद भी याद रखे जाए तो कितना अच्छा हो । उन्हे इस दुनिया मे मशहूर होने के लिए प्रेरित करें वह स्वयं ही अपना रास्ता ढूंढने लगेगा। इसके लिए आप उन्हे कुछ हमारे समाज के महापुरूष का उदहारण देकर समझा सकते है।

2. इसके बाद उनमे positive energy का विकास करे । उन्हे विश्वास दिलाए कि वह जो कुछ भी करना चाहते है ,जो बनना चाहते है बन सकते है । उनके हिम्मत को सदैव बढाए । इसके कारण वह अपना लक्ष्य चुनेगे।

3. Time (समय) का महत्व करना सिखाए । किसी भी सफलता के लिए समय के साथ चलना अति आवश्यक हैं । इसके साथ साथ उन्हें नियमित रूप से कार्य करने के लिए कहे।

4.   उनकी हर छोटी बडी सफलता पर प्रोत्साहित       करे ।
5.  उन्हें आलस त्याग के लिए अग्रसर करे ।

Tuesday, September 25, 2018

मेरी जीत

किसी को पाना ,इतना आसान नहीं होता।

किसी को समझा पाना , आसान नहीं होता।

सितारों को चमकने के लिए भी, रात चाहिए।

मुझे भी इस जग को जीतने के लिए ,

तुम्हारा साथ चाहिए।

शायद तुम समझ पाते।

हम वो सब, तुम से कह पाते।

जो भावनाऐंं , नई उमंगे लिए अंदर ही रहती है।

चाह कर भी , बाहर नही निकलती है। 

साँस लेकर , सब कुछ सहता हूँ।

सब देखकर ,कुछ नहीं  कहता हूँ।

पर विश्वास है मुझे, वह वक्त आऐगा ।

जब सब कोई मुझे समझ पाऐगा ।

जैसे हर दिन के बाद रात आएगी।

तुम्हारी जुबान पर हर बार मेरी बात आएगी।

तुम चाह कर भी अपने आपको ,

नही रोक पाओगे ।

बिना पुछे ही सब कुछ कह जाओगे।

काश , मैं तुम्हें विश्वास दिला पाता ।

अपने सपनों की दुनिया मे घुमाने ले जाता। 

वैसे तो लिखने  का शौक नहीं है मुझे,

 वह तो लिख दिया हमने कुछ कहने को तुझे 

इसमें गलती नहीं है हमारी

 जिस से घायल हुए हम 

वह नजरें थी तुम्हारी 

समझ नहीं आ रही थी कौन सी है बीमारी 

क्योंकि याद बहुत आती थी तुम्हारी

 इसी बीच कभी कभी आंसू भी निकला करते थे 

शायद इसलिए कुछ लिख दिया करते थे 

अब रोने की जरूरत नहीं पड़ती है 

क्योंकि दिल जैसी टोकरी में रखी अब डायरी ही सहती है. 

जब उदास  हो उसे पढ़  करता हूं 

या कभी रोना आए एक और पेज भर  दिया करता हूं

 तुम्हारा साथ न होते हुए भी ,

होने की कल्पना करता हूँ।

जवाब जानते हुए भी,  

तुम्हें पाने की इच्छा जाहिर करता हूँ ।

अगर तुम्हें न पा सका,

 तो जीवन रस अधुरा रहेगा।

किस्मत भी मुझे "सपनों का दिवाना "कहेगा ।।


Sunday, September 23, 2018

सपना सा सच

कभी कभी  सच ,सपना सा लगता है।
कोई गैर भी कभी,अपना सा लगता है।
अपनो ने साथ वही छोडा।
जहाँ देखा अकेला था।
सबकुछ विरोध मे होते हुए, हमने इसे नकारा था।
उस छण केवल ईश्वर ,नाम तेरा पुकारा था।
तकदीर मे लिखा, यह दिन आना था।
नही तो हमने, अपनो को अपना माना था।
कभी कभी  सच ,सपना सा लगता है।
कोई गैर भी कभी,अपना सा लगता है।
वही मेरा सहारा था।
जिसको डुबते तिनके सा,पहचाना था।
यह दिन न आता , सच सपना का आभास न होता।
जीवन मे ,दुखः निराशा का एहसास न होता।
जीवन मे, सुख दिन के बाद, दुखः रात न आता ।
तो आने वाला सुख, हमको रास न आता ।
कभी कभी  सच ,सपना सा लगता है।
कोई गैर भी कभी,अपना सा लगता है।
अगर वर्षा मे प्यास न हो।
गहरे समुन्र्द मे ऊँची लहरो का नाम न हो।
तो उसका कर्म अधुरा है।
 आने वाले कल का आगाज़ न हो।
इच्छा को कामयाबी की आवाज़ न हो।
तो उसकी चाहत अधुरी है ।
कभी कभी  सच ,सपना सा लगता है।
कोई गैर भी कभी,अपना सा लगता है
गुलाब के सुगंध संग काँटे न हो।
अगर जीवन मे सुख दुखः जैसा अंतर न हो।
तो हमारा जीवन अधुरा है।
क्योकि गर्मी के बाद ही , बरसात पुरा है।
कभी कभी सच, सपना सा लगता है।
कोई गैर भी कभी, अपना सा लगता है।sapna sa sach poem

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