Sunday, October 14, 2018

हमारा भारत (कविता)

भारत के रसना मे अनोखी रास है।
तुम मे भी कुछ खास है।।
ममतामयी माँ से रीझे हो तुम ।
गर्वमान पिता के द्वारा सिंचे हो तुम।।

पहली लाली संग चरणों का आशीर्वाद मिलता।
हर सुपूत मे भारत का नाम मिलता ।।
सूर्य  पर जितना विश्वास आज है।
दादा को अपने पोते पर उतना नाज है।।

यहाँ की मिट्टी मे कोई राज है।
यहाँ का बच्चा बच्चा विश्व का सरताज है।।
बिरजु हो या अब्दुल , कमाया इतना नाम है।
स्वयं उतर आए यहाँ भगवान राम है।।
यहाँ हर दिन , हर पल एक त्योहार  है।
धर्मों की तो गाथा , गाता संसार हैं ।।

एकता , सद्भावना से अमूल्य यहाँ की रीति हैं ।
बेटी कल्पना तो हार कर भी जीती है ।।
हमारी सेना से विपक्षी भी भयभीत है ।
किसी ने सुनी न देखी , ऐसी रणनीत हैं ।।

                       गुंजन द्विवेदी ।

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