Wednesday, May 8, 2019

तुमको देख रोम भी हर्ष मनाता ।।

तुमको देख रोम भी हर्ष मनाता
इस भाव को ओठ भी रोक न पाता
जाने तुम कैसी बला हो
ईश्वर की अनोखी कला हो

तुम्हारे नज़दीक आकर
अज़ीब खुशी का आलम रहता है
बातें तो बहुत है
पर मन ही कहता रहता है

अपनी सुन्दरता का हमें भी राज दे
वरना मेरी ज़िन्दगी आकर साज़ दे
तुम मे हमने अपने को देखा है
क्या हम भी तेरे हाथ की रेखा है

हर एक पल मे तेरी आस है
मेरे अपनो के बाद
तु दुसरी जीने की सासँ है
न जाने कैसा यह एहसास है

तुमको देख रोम भी हर्ष मनाता
इस भाव को ओठ भी रोक न पाता
जाने तुम कैसी बला हो
ईश्वर की अनोखी कला हो ।।
                            गुंजन द्विवेदी

2 comments:

Top digital marketing strategies for Restaurant

Dive into Orderable’s demo and experience the future of hassle-free online ordering. . Join our Community Join our community to connect with...