तुमको देख रोम भी हर्ष मनाता
इस भाव को ओठ भी रोक न पाता
जाने तुम कैसी बला हो
ईश्वर की अनोखी कला हो
तुम्हारे नज़दीक आकर
अज़ीब खुशी का आलम रहता है
बातें तो बहुत है
पर मन ही कहता रहता है
अपनी सुन्दरता का हमें भी राज दे
वरना मेरी ज़िन्दगी आकर साज़ दे
तुम मे हमने अपने को देखा है
क्या हम भी तेरे हाथ की रेखा है
हर एक पल मे तेरी आस है
मेरे अपनो के बाद
तु दुसरी जीने की सासँ है
न जाने कैसा यह एहसास है
तुमको देख रोम भी हर्ष मनाता
इस भाव को ओठ भी रोक न पाता
जाने तुम कैसी बला हो
ईश्वर की अनोखी कला हो ।।
गुंजन द्विवेदी
Super
ReplyDeleteThanks for support
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