मानसिकता का तात्पर्य लोगों के सोचने , विचारने के प्रारूप से है । लोगों के काम भी इसी उनकी मानसिकता पर निर्भर है कोई चाह कर भी किसी दुसरे व्यक्ति के काम ,बुरे आदतें को सुधार नही सकता केवल उसे सही मार्ग दिखाया जा सकता है लेकिन उस मार्ग पर चलना , सही तरीके से काम करना, बुरे आदतों को छोड़ना केवल उसके मानसिकता पर निर्भर हैं। व्यक्ति जिस विषय पर जैसी मानसिकता रखेगा वैसे ही उस पर कार्य करेगा।
हम मानसिकता को इस उदाहरण से आसानी से समझ सकते है कि जब सर्कस मे हाथी के बच्चे को पकड़ कर लाया जाता है तो उसे चैन से बाधँ कर रखा जाता हैं । चैन मजबूत होने के कारण उस समय वह उसे नही तोड़ पाता औऱ उसकी यह मानसिकता बन जाती हैं कि वह उससे नही टुटेगा । लेकिन मजेदार बात तो यह है कि कुछ साल बाद जब वह एक विशाल शक्तिशाली हाथी बन जाता है तब भी वह उसे नही तोड़ पाता जबकि उसके लिए वह एक कच्चे धागे के समान है । इसका कारण उसकी अपरिवर्तित मानसिकता है जिसमें चैन उससे मजबूत है औऱ वह उसे तोड़ने का प्रयास भी नही करता ।
आज के वर्तमान समय मे सभी लोगो की मानसिकता केवल अधिक से अधिक आय अर्जित करने की है लेकिन यह हमलोगो की भूल है । अर्थ केवल जीविका पार्जन के लिए ही एकत्रित किया जाता है। इस संसार मे आए औऱ अपनी मिली जिदंगी जी कर मर जाना यही जीवन नहीं हैं ब्लकि हम इस समाज मे कुछ विशेष गुण लेकर पैदा होते है औऱ जाते जाते हमें इस समाज के जनकल्याण के लिए कुछ देकर जाना होता हैं । हमें जीवन के मानसिकता के तौर पर ऐसा ही कुछ लक्ष्य रखना चाहिए अगर हम सब की मानसिकता इसी प्रकार की हो तो हम संसार को अति तिव्र गति से विकसित कर सकते है । मेरे अनुसार जैसे हम आज जितने भी प्रकार के सुविधा का उपयोग कर रहे है उन सभी के निर्माताओ , जनको का जीवन सफल हो चुका है । अब हमारी बारी है , कि हम अपने जीवन को सफल कैसे बनाते है औऱ अगली पीढ़ी को क्या देते है ।
हमें जरूरत हैं अपनी मानसिकता केवल आय से हटाकर अन्य क्षेत्रों के प्रयोग मे लाने की जैसे - बेरोजगारों को रोजगार दिलाना , गरीबो को ऊपर उठने मे मद्द़ करना , जिन बच्चो को शिक्षा जैसी सुविधा नहीं मिल रही उनको शिक्षा उपलब्ध कराना । कुछ बड़ा अविष्कार करने की बात बाद मे पहले हम इन छोटे छोटे कामों को कर के हम अपना जीवन सफल बना सकते है ।
गुंजन द्विवेदी