बिन लफ्जो की कैसी जुबान है
शायद तु मेरे आसुँओ का हिसाब है
नहीं तो मेरे जख्मो का निशान है ।।
लोग अपनाएँगे मेरी राह
कुछ पढेगे मेरी कहानी
साकार होगी मेरी रात सुहानी।।
कुछ को पडेगी आखँ चुरानी
मेरी हार की यही हार होगी
फिर तरक्की की ही बहार होगी ।।
अपने पर इतना विश्वास हो
बिन दाग तो चाँद न हो
चाहे वो कोई भी मास हो ।।
सवार दे मेरे आने वाले कल को
करना न पडे मुझे दुनियाँ सा छल
मुझे मिले बस मेरे कर्मो का फल ।।
बिन लफ्जो की कैसी जुबान है
शायद तु मेरे आसुँओ का हिसाब है
नहीं तो मेरे जख्मो का निशान है ।।
गुंजन द्विवेदी