Friday, February 22, 2019

तु बिन लिखी कैसी किताब(कविता)

तु बिन लिखी कैसी किताब है
बिन लफ्जो की कैसी जुबान है
शायद तु मेरे आसुँओ का हिसाब है
नहीं तो मेरे जख्मो का निशान है ।।
मैं भी बनुगाँ लोगों की चाह
लोग अपनाएँगे मेरी राह
कुछ पढेगे मेरी कहानी
साकार होगी मेरी रात सुहानी।।
सब याद करेंगे बात पुरानी
कुछ को पडेगी आखँ चुरानी
मेरी हार की यही हार होगी
फिर तरक्की की ही बहार होगी ।।
जिंदगी तुझसे आस न हो
अपने पर इतना विश्वास हो
बिन दाग तो चाँद न हो
चाहे वो कोई भी मास हो ।।
अब सुलझा इस पहेली के हल को
सवार दे मेरे आने वाले कल को
करना न पडे मुझे दुनियाँ सा छल
मुझे मिले बस मेरे कर्मो का फल ।।
तु बिन लिखी कैसी किताब है
बिन लफ्जो की कैसी जुबान है
शायद तु मेरे आसुँओ का हिसाब है
नहीं तो मेरे जख्मो का निशान है ।।
                                           गुंजन द्विवेदी

Thursday, February 21, 2019

भाग्य (कविता)

ज्ञान की बोछार मे
भीगा आज विश्वास है।
कर्म की आड़ मे
पहचाना तु भाग्य है।।

किसी महान की रचना मे
तु देर लेकिन दुरूस्त है।
इस परिणाम के पीछे
तु राज बहुत जबरदस्त  है।।

सफलता तक पहुँचने से पहले
करनी  पडेगी तम्हारी उपासना
आज भी प्रभु तुम्हारी
हर प्राणी मे है वासना।।

जाने कब मेरे अक्षरो को
शब्द मिलेंगे ।।
जहाँ मेरे सपनों के
घर रहेंगे ।।

मेरे पन्नों पर भी
एक कहानी होगी
मेरी पहचान भी
अब न अनजनी होगी ।।
                                
ज्ञान की बोछार मे
भीगा आज विश्वास है।
कर्म की आड़ मे
पहचाना तु भाग्य है।।
                             गुंजन द्विवेदी

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