दिन जर्जर सा हो मगर ।
रात आराम होनी चाहिए ।
पर्सनल डायरी ही सही तुम्हारी ।
पर कहीं ना कहीं ,हमारा भी नाम होना चाहिए।।
कुछ किस्से दोनों के नाम के ।
तो कुछ मुलाकातें बिना काम होना चाहिए।
विद कवर सजी डायरी हो तुम्हारी ।
पर कुछ फटे पन्ने मेरे नाम होना चाहिए।।
दिनचर्या लिखी हो तुमने मगर ।
मेरे लिए कम से कम एक शायरी तैयार होनी चाहिए।
मिले अगर हम इस दुख में भी ।
तो धूप संग भी बौछार होनी चाहिए।।
बेशकीमती फुल सही तुम मगर ।
हम काँटो का भी दाम होना चाहिए ।
हमारी दी हुई कलम से लिखती हो तुम।
इसलिए आप की डायरी थोड़ी तो बेईमान होनी चाहिए।।
अधूरा लिखकर काटना पड़े ।
कुछ ऐसी भी हमारी बातें होनी चाहिए।
अच्छे सपने आए तुम्हें मगर ।
गंदे सपनों में हमारा ही साथ होना चाहिए।।
कुछ लिखने को आतुर मगर ।
पलटने पन्नों में मेरे पहलू पर विराम होना चाहिए ।
जिस दिन दो शब्द भी लिखे आप ।
पहले शब्द में ,आप तो अंतिम हमारा नाम होना चाहिए।।
दिन जर्जर सा हो मगर ।
रात आराम होनी चाहिए ।
पर्सनल डायरी ही सही तुम्हारी ।
पर कहीं ना कहीं हमारा भी नाम होना चाहिए।।
गुंजन द्विवेदी