Monday, June 22, 2020

डायरी

                 ।।  डायरी ।।

दिन जर्जर सा हो मगर  ।
रात आराम होनी चाहिए ।
 पर्सनल डायरी ही सही तुम्हारी ।
पर कहीं ना कहीं ,हमारा भी नाम होना चाहिए।।

कुछ किस्से दोनों के नाम के ।
तो कुछ मुलाकातें बिना काम होना चाहिए।
 विद कवर सजी डायरी हो तुम्हारी ।
पर कुछ फटे पन्ने मेरे नाम होना चाहिए।।

दिनचर्या लिखी हो तुमने मगर ।
मेरे लिए कम से कम एक शायरी तैयार होनी चाहिए।
 मिले अगर हम इस दुख में भी ।
तो धूप संग भी बौछार होनी चाहिए।।

बेशकीमती फुल सही तुम मगर ।
हम काँटो का भी दाम होना चाहिए ।
हमारी दी हुई कलम से लिखती हो तुम।
 इसलिए आप की डायरी थोड़ी तो बेईमान होनी चाहिए।।

अधूरा लिखकर काटना पड़े ।
कुछ ऐसी भी हमारी बातें होनी चाहिए।
 अच्छे सपने आए तुम्हें मगर ।
गंदे सपनों में हमारा ही साथ होना चाहिए।।

कुछ लिखने को आतुर मगर ।
पलटने पन्नों में मेरे पहलू पर विराम होना चाहिए ।
जिस दिन दो शब्द भी लिखे आप ।
 पहले शब्द में ,आप तो अंतिम हमारा नाम होना चाहिए।।

दिन जर्जर सा हो मगर  ।
रात आराम होनी चाहिए ।
 पर्सनल डायरी ही सही तुम्हारी ।
पर कहीं ना कहीं हमारा भी नाम होना चाहिए।।
                              गुंजन द्विवेदी

Tuesday, April 21, 2020

मास्टर साहेब (master saheb) कविता

gunjan dwivedi poem #mastersaheb                      मास्टर साहेब ।।

मंत्री जी की, की हमने आज भी जी हजूरी है 
केवल स्कूल होने से क्या शिक्षा हमारी पूरी है 
शिक्षा के बिना विकास की कहानी अधूरी है 
और मास्टर साहब आपकी क्या मजबूरी है।।

मंत्री जी आपने गांव तक स्कूल खुलवाया है 
उन शिक्षकों ने कभी स्कूल में पढ़ाया है
कहने को तो वो,  कल का भविष्य बनाते हैं 
क्या वो अपने बच्चों को कभी सरकारी में पढ़ाते हैं।।

हमारे सरकारी स्कूल केवल परीक्षा लेकर सर्टिफिकेट देने के काम आते हैं
 इसमें विधायक जी भी क्या करें स्कूल वाले इन्हें शायद मध्याह्न भोजन जो करवाते हैं
प्राइवेट स्कूल फी लेकर ही सही रोज पढ़ाया तो करते हैं लेकिन सरकारी स्कूल तो केवल छात्रवृत्ति देकर पूरे साल की हाजिरी लगाया करते हैं।।

मंत्री जी की, की हमने आज भी जी हजूरी है 
केवल स्कूल होने से क्या शिक्षा हमारी पूरी है 
शिक्षा के बिना विकास की कहानी अधूरी है 
और मास्टर साहब आपकी क्या मजबूरी है।।

जहां गैर सरकारी विद्यालय में लैब कराया जाता है 
वही सरकारी शिक्षकों को एक साथ स्वतंत्रता दिवस पर ही बुलाया जाता है 
हमारे देश में सर्व शिक्षा अभियान है
शिक्षा देने वाले आज शिक्षक भी बेईमान है।।

दिन प्रतिदिन नए स्कूल खोल बढ़ रहा है
शिक्षा स्तर देश में, 
ना जाने कितने छुपे बैठे हैं,
माल्या आज भी साधु वेश में।।

मंत्री जी की, की हमने आज भी जी हजूरी है 
केवल स्कूल होने से क्या शिक्षा हमारी पूरी है 
शिक्षा के बिना विकास की कहानी अधूरी है 
और मास्टर साहब आपकी क्या मजबूरी है।।

 उस  नीरव ने तो केवल 200 करोड़ पचाया है 
इन ज्ञान दाताओं ने तो दांव पर देश का भविष्य लगाया है,
शिक्षा, विकास का निंव होता है 
गलत पढा है हमने शिक्षक सजीव होता है।।

मंत्री जी, अब इन सरकारी भोग संस्था को बंद कराए  
नहीं तो उन शिक्षकों पर प्रतिबंध लगाए 
मास्टर साहेब को अपने बच्चों को सरकारी में ही पढ़ाना है ,
क्योंकि उस मजदूर के बेटे को भी शिक्षित कहलाना है।।

मंत्री जी की, की हमने आज भी जी हजूरी है 
केवल स्कूल होने से क्या शिक्षा हमारी पूरी है 
शिक्षा के बिना विकास की कहानी अधूरी है 
और मास्टर साहब आपकी क्या मजबूरी है।।
                        गुंजन द्विवेदी।।


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