Friday, November 23, 2018

मेरी किस्मत

जिंदगी का एक एक पल
सपनों मे संयोजा था ।
तुम्हारे मेरे साथ होते हुए भी
मैंने तुम्हें ढूँढा था ।
आसमान की उडान मे
उडने से भी सेहमता था ।
शिखर पर पहुँचने  से  पहले 
फडफडाने से भी  डरता था ।

आज के  इस विश्वास पर
कल की कोई  आस न थी  ।
बरसात के  इन बूँदो की
संसार को  कोई  प्यास न थी ।

उन आँखों  की  चमक चाहिए
जो  बेतहाशा  उम्मीद  रखते  है ।
मुझे  दिलासा देकर
खुद  सारे सितम सहते है ।

मुझे  रोज़  समझाने वाले 
आज कुछ  न कहते  है  ।
फिर भी  उनकी  आँखों  की झलक
मुझे  वो  सबकुछ कहते  है ।

जल्दी , मैं  उनके  ख्वाब  पुरे  करता
खाश उनकी  झोली खुशीयाँ से भरता ।
मैं  भी  कल आम नहीं 
कुछ  खास  रहता  ।।

जिंदगी का एक एक पल
सपनों मे संयोजा था ।
तुम्हारे मेरे साथ होते हुए भी
मैंने तुम्हें ढूँढा था ।
आसमान की उडान मे
उडने से भी सेहमता था ।
शिखर पर पहुँचने  से  पहले 
फडफडाने से भी  डरता था ।
                             गुंजन द्विवेदी

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